‘छत्तीसगढ़ के जैतखाम’ सत के चिन्हारी..

छत्तीसगढ़- ‘गिरौदपुरी धाम’ महानदी अऊ जोंक नदी के संगम स्थल हे। जिहां गुरु बाबा घासीदास के 18 दिसंबर सन 1756 जनम होय रहिस। गिरौधपुरी धाम छत्तीसगढ़ के तीर्थ स्थल म एक हे। जिहां हर बछर 18 दिसंबर के भव्य मेला के आयोजन होथे। जिहां आध्यात्मिकता अऊ ऐतिहासिक गहरा संबंध हे। उहें अनुयायी मन घलो अपन-अपन गांव पालो चढ़ाथे जयंती मनाथे संग ही पंथी नृत्य के माध्यम ले लोगन मन सत के संदेस ल बगराथे।

गिरौदपुरी धाम राजधानी रायपुर ले 125 किलोमीटर दूरी म स्थित हे। जउन सतनाम पंथ प्रमुख धाम हे। छत्तीसगढ़िया मन के प्रमुख आस्था के केंद्र हे। बाबा गुरु घासीदास के जनमस्थली अऊ तपोभूमि गिरौदपुरी म दुनिया के सबले ऊंचा जैतखाम हे। जिहां सच्चाई के प्रतीक चिन्हारी सफेद झंडा लहर-लहर लहराथे। गिरौधपुरी जैतखाम के ऊंचाई दिल्ली के कुतुबमीनार ले घलो जादा हे। ऐकर ऊंचाई 243 फीट हे। जउन सतनाम पंथ के विजय कीर्ति ल प्रदर्शित करथे। ये पवित्र धाम म देस-विदेस ले घलो श्रद्धालु अऊ पर्यटक आध्यात्मिक ज्ञान के खोज म इहां आथे। प्राचीन इतिहास के आधार म गुरु बाबा घासीदास एक साधारन किसान परिवार म जनम लेय रहिस।

ओकर पिता के नांव मंहगू दास अऊ माता के नांव अमरौतिन अऊ ओकर धर्मपत्नि के नांव सफुरा रहिस। गुरु बाबा के जनम ओ बेरा रहिस जब समाज म छुआछूत के कुप्रथा फैले रहिस। तब गुरु बाबा ह समाज ल एकता, भाईचारा अऊ समरसता के संदेस दिस। अऊ बाबा जी के इही संदेस ले लाखों लोगन गुरु बाबा घासीदास के अनुयायी हो गिस। अऊ तब ले सतनाम पंथ के स्थापना होइस। गिरौदपुरी धाम म आज घलो गुरुबाबा के चमत्कार के चिन्हारी देखे बर मिलथे। जेमा तपोभूमि अऊ चरणकुण्ड,अमृतकुण्ड, चरणचिन्ह, सफुरामठ अऊ तपोभूमि ले 7 किलोमीटर दूर जंगल के बीच एक बहुत बड़े पथरा हे, जेला छातापहाड़ कहे जाथे। इहां सदगुरू बाबा घासीदास ह तप अऊ साधना करे रहिस। उहें जनमस्थान ले करीब 200 गज के दूरी म पूर्व दिशा म एक छोटा तरिया हे अऊ तीर म ‘सफुरामठ’ हे। कहे जाथे जब गुरु बाबा जी जब ज्ञान प्राप्त के बाद घर लहुटिस ता मर चुके सफुरा माता ल सतनाम-सतनाम के जाप करके अमृत पिलाके पुनर्वीवित करे रहिस। ऐकरे स्मृति म सफुरा मठ बनाए गेहे। वइसे ता गिरौदपुरी धाम म हर मौसम हर बछऱ श्रद्धालु पहुंचथे। फेर फागुन पंचमी म लगइया तीन दिन के मेला म लाखों के संख्या म श्रद्धालु पहुंचथे। ये बेरा धार्मिक अनुष्ठान के संग रंगारंग कार्यक्रम के आयोजन घलो करे जाथे। गुरु बाबा के मनखे-मनखे एक समान के संदेस आज पूरा संसार म गूंजयमान हे।
जय सतनाम। जय सतनाम
अशोक साहू
छात्र, एम.ए (छत्तीसगढ़ी)
KTUJM, Raipur




