Kawardha:जंगल में ट्रैप कैमरे में कैद हुई बाघिन, शिकार करते सामने आई तस्वीर,हाथियों ने भी बढ़ाई टेंशन…

Kawardha:जंगल में ट्रैप कैमरे में कैद हुई बाघिन, शिकार करते सामने आई तस्वीर,हाथियों ने भी बढ़ाई टेंशन…
कवर्धा के जंगलों में दो महीने से एक बाघिन और चार हाथियों का दल सक्रिय है। बाघिन मवेशियों का शिकार कर रही है, जिससे ग्रामीणों में डर है। वन विभाग ने ट्रैप कैमरे लगाकर निगरानी तेज कर दी है और ग्रामीणों को सतर्क रहने की सलाह दी है। हाथियों ने अभी तक कोई नुकसान नहीं पहुंचाया है, लेकिन उनकी मौजूदगी से वन विभाग सतर्क है।
कवर्धा । छत्तीसगढ़ के कवर्धा जिले के घने जंगलों में पिछले दो महीनों से वन्यजीवों की गतिविधियां तेजी से बढ़ी हैं। कान्हा नेशनल पार्क से आई एक बाघिन और हाथियों का एक समूह यहां डेरा जमाए हुए हैं। बाघिन के मवेशियों का शिकार करने और हाथियों के ग्रामीण इलाकों में विचरण करने की खबरों ने वन विभाग और स्थानीय निवासियों की चिंताओं को बढ़ा दिया है।
बाघिन की बढ़ती मौजूदगीः वन विभाग अलर्ट पर
वन विभाग के अनुसार, बाघिन की पहली उपस्थिति दो महीने पहले देखी गई थी। तब से वह लगातार कवर्धा के जंगलों में घूम रही है। भूख मिटाने के लिए उसने मवेशियों को निशाना बनाया है, लेकिन वन विभाग का कहना है कि ग्रामीणों ने अभी तक शिकार की शिकायत दर्ज नहीं कराई है।
वन विभाग ने बाघिन की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए कई ट्रैप कैमरे लगाए हैं। हालांकि बाघिन का लगातार मूवमेंट ट्रैक करना विभाग के लिए चुनौती बन गया है। बाघिन की सुरक्षा के मद्देनजर उसकी सटीक लोकेशन को गुप्त रखा गया है। विभाग के अधिकारियों का मानना है कि यदि यह बाघिन यहां स्थायी ठिकाना बनाती है, तो यह क्षेत्र की जैव विविधता के लिए सकारात्मक संकेत होगा।
ग्रामीणों में बढ़ा डर, वन विभाग कर रहा जागरूक
बाघिन की मौजूदगी से वनांचल के ग्रामीणों में डर का माहौल है। हालांकि, वन विभाग ने ग्रामीणों को जागरूक करने के लिए कदम उठाए हैं। उन्हें जंगल में अकेले न जाने, रात में बाहर न निकलने और मवेशियों की सुरक्षा के उपाय अपनाने की सलाह दी गई है। वन मंडल अधिकारी शशि कुमार ने बताया कि बाघिन पिछले दो महीनों से जंगल में सक्रिय है। उसने कुछ मवेशियों का शिकार किया है। यदि ग्रामीण शिकार की जानकारी विभाग को देते हैं, तो उन्हें मुआवजा दिया जाएगा। बाघिन की सुरक्षा और ग्रामीणों की सुरक्षा के लिए विभाग सतर्क है।
हाथियों का दलः वन विभाग की विशेष निगरानी
कवर्धा के जंगलों में चार हाथियों का एक दल भी पिछले एक महीने से डेरा डाले हुए है। इस दल में एक नर हाथी, दो मादा हाथी और एक शावक शामिल हैं। हाथियों ने अब तक किसी प्रकार का नुकसान नहीं पहुंचाया है, लेकिन उनकी मौजूदगी ने वन विभाग को सतर्क कर दिया है। ग्रामीणों को हाथियों से बचने के लिए विशेष हिदायतें दी गई हैं। विभाग ने गांवों में मुनादी कर लोगों को जंगल से दूर रहने, रात में घर के बाहर आग जलाने और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की तुरंत सूचना देने का निर्देश दिया है।
वन्यजीवों की बढ़ती गतिविधियांः पर्यावरण के लिए सकारात्मक संकेत
वन विभाग के अनुसार, बाघ और हाथियों की मौजूदगी से क्षेत्र में जैव विविधता को बढ़ावा मिलेगा। यह कवर्धा के जंगलों की समृद्धि को दर्शाता है। यदि बाघिन और हाथी यहां स्थायी निवास बना लेते हैं, तो यह क्षेत्र पर्यावरण के लिहाज से एक महत्वपूर्ण वन्यजीव केंद्र बन सकता है। हालांकि, वन्यजीवों की बढ़ती गतिविधियों से खतरे की संभावना भी बढ़ गई है। बाघिन द्वारा मवेशियों का शिकार और हाथियों का ग्रामीण क्षेत्रों के पास विचरण, दोनों ही ग्रामीणों के लिए बड़ी चुनौती हैं।
वन विभाग की प्राथमिकताएंः सुरक्षा और संतुलन
वन विभाग ने कहा है कि वे बाघिन और हाथियों की गतिविधियों पर नियमित निगरानी कर रहे हैं। ग्रामीणों की सुरक्षा और वन्यजीवों के संरक्षण के बीच संतुलन बनाए रखने के लिए सभी जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं।
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